पश्चिम बंगाल का हावड़ा ब्रिज, के इतिहास की कहानी जिस पर जापानियों ने बरसाए थे बम: क्‍या है इतिहास!

पश्चिम बंगाल का हावड़ा ब्रिज जिसे अंग्रेजों ने बनाया था, आपको जानकर हैरानी होगी इस ब्रिज का औपचारिक उद्घाटन अभी तक नहीं हुआ है. इस ब्रिज पर जापानियों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय बमबारी भी की थी.बता दे की 1936 में इस ब्रिज को बनाने की शुरुआत अंग्रेजों ने की थी. समुद्र पर तैरते हुए इस ब्रिज के बारे में जानिए. जिसने बंगाल के भीषण अकाल से लेकर बमबारी तक देखी.सबसे बडी बात है, की इस ब्रिज का टाटा कंपनी से भी है पुराना रिश्‍ता है..  


हावड़ा ब्रिज,का इतिहास

लेकिन इस ब्रिज से भारतीयों का रिश्‍ता रहा है. इस ब्रिज को बनाने में भारत की टाटा कंपनी का भी सहयोग रहा था. ब्रिज ऐसे समय में तैयार हुआ था कि उसका आज तक औपचारिक उद्घाटन भी नहीं हुआ है. साल 1936 में इस ब्रिज को बनाने का काम शुरू हुआ था. जबकि, 3 फरवरी 1943 को यानी द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस ब्रिज को जनता के लिए खोल दिया.वर्ल्‍ड वॉर के दौरान इस ब्रिज पर जापान ने हमला भी कर दिया. दो पायें पर टिका ये ब्रिज कई माइनों में खास है. 



1500 फीट का ब्रिज सिर्फ दो पायों पर टिका है 

इस ब्रिज को  बनाने वाले ने इतने खास तरीके से बनाया है कि यह पूरा ब्रिज सिर्फ दो पायों पर टिका हुआ है. करीब आधा किलोमीटर लम्‍बे इस ब्रिज की ऊंचाई 280 फीट है...जब इस ब्रिज को बनाया गया था तब यह तीसरा सबसे लंबा ब्रिज था...साथ ही इस पुल की एक खास बात ये है कि इसे बनाने में कहीं भी नट-बोल्ट का इस्तेमाल ही नहीं हुआ है. इसे बनाने में धातु की कीलों यानी रिवेट्स का उपयोग हुआ है. आपके लिऐ जानना बहेद  खास होगा की पुल तोड़ने के लिए जापान की सेना ने  की थी बमबारी। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने इस ब्रिज पर हमला किया था. दरअसल, जापानी सेना ब्रिज को तोड़कर आवाजाही को रोकना चाहती थी.... जापान की सेना ने इस पर जोरदार बमबारी की.ब्रिज इतना मजबूत था कि पुल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा.

टाटा कंपनी ने की थी लोहे की सप्लाई

इस ब्रिज को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट ब्रेथवेट, बर्न एंड जोसेप कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला था. इस ब्रिज में 85 फीसदी स्‍टील की सप्‍लाई टाटा स्‍टील ने की थी. आपको बता दें कि इस पुल को बनाने में कुल 26 हजार 500 टन स्‍टील इस्‍तेमाल हुआ था. हुगली नदी पर बना यह पुल कोलकाता और हावड़ा को आपस में जोड़ता है. अंग्रेजों ने 1874 में 22 लाख रुपये की लागत पर पीपे का पुल बनाया था. 







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